यह वही कागज का मुट्ठा था जो अर्जुनसिंह ने मेरे बटुए से निकाल लिया था, तथा इसके साथ और भी कई कागज थे।
2.
बहुत दिनों के बाद जब यह कागज का मुट्ठा मेरे यहां से चोरी हो गया तब मैं घबड़ाया और डरा कि समय पर वह चोरी गया हुआ मुट्ठा मुझी को मुजरिम बना देगा, और आखिर ऐसा ही हुआ।
3.
भूत-इसीलिए कि वह बेगम की गुप्त सहेली नन्हों से गहरी मुहब्बत रखती है और इसी सबब से वह कागज का मुट्ठा जो मैंने अपने फायदे के लिए तैयार किया था गायब हो के जैपाल के हाथ लग गया और उससे मुझे नुकसान पहुंचा।
4.
भूत-(महाराज की तरफ देखकर) मैंने जिस दिन अपना किस्सा सरकार को सुनाया था उस दिन अर्ज किया था कि जब वह कागज का मुट्ठा मेरे पास से चोरी गया तो मुझे बड़ा ही तरद्दुद हुआ और उसके बहुत दिनों के बाद राजा गोपालसिंह के मरने की खबर उड़ी 1 इत्यादि।
5.
इन्होंने जब लक्ष्मीदेवी, कमलिनी और लाडिली इत्यादि के सामने वह कागज का मुट्ठा खोला था और चीठियों को पढ़कर भूतनाथ पर इलजाम लगाया था कि ' बेशक ये चीठियां भूतनाथ के हाथ की लिखी हुई हैं ' तो इतना क्यों नहीं सोचा कि भूतनाथ की चीठियों के जवाब में हेलासिंह ने जो भी चीठियां भेजी हैं वे भी तो भूतनाथ ही के हाथों की लिखी हुई मालूम पड़ती हैं, तो क्या अपनी चीठी का जवाब भी भूतनाथ अपने ही हाथ से लिखा करता था?